....कहते है कि माँ के बाद बच्चे विद्यालय में ही सीखते हैं,अर्थात सीखने की दूसरी सीढ़ी होती हैं विद्यालय।।।।।
       परिवर्तन की विकास की धुरी हैं,अगर ये सत्य हैं तो क्या हमें नही लगता कि शिक्षा के क्षेत्र में अमूलचूक परिवर्तन करना चाहिए,,,,??????
हमारे देश के संविधान निर्माण के समय अनेक प्रावधान कनाडा ,ऑस्ट्रेलिया,जर्मनी,यूएसएसआर(अब रूस),फ्रांस,दक्षिण अफ्रीका जापान इत्यादि देशों के संविधानों से लिये गए।।।
फिर शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन आखिर कब किये जायेंगे????
कब हमारे देश में किताबी ज्ञान की महत्ता को कम करके कुशलता पर ध्यान दिया जाएगा????
कब बच्चों के कांधे से किताबों का बोझ कम कर उनकी रुचि में कुशलता लाई जाए????
और सबसे महत्वपूर्ण ,,,कब तक डिग्री को हम ज्यादा महत्व देते रहेंगे सीखने सिखाने की कला से।।।।।।?????
क्योंकि आज जरूरत हैं बदलते परिवेश के अनुसार ज्ञान के साथ साथ शिक्षा ऐसी हो जो रोजगार दिलाये,,अन्यथा आने वाला समय अत्यंत गम्भीर होगा।।।।
क्योंकि बच्चें ही देश का भविष्य है, जब जब लोंगो के हाथों में कुशलता होगी तो हर नागरिक का विकास होगा जिससे हमारे देश का भी विकास होगा।।।
अतः आज हमें जरूरत हैं शिक्षा को ज्ञानवर्द्धक के साथ साथ रोजगारपरक भी बनाये।।।।।।।।